श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
बुरी आदतें बाद मे और बड़ी हो जाती हैं - प्रेरक कहानी
जो यह पाठ करे मन लाई । ता पार होत है शम्भु सहाई ॥
शिव चालीसा के माध्यम से आप भी अपने दुखों को दूर करके शिव की अपार कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
श्रीरामचरितमानस धर्म संग्रह धर्म-संसार एकादशी
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो get more info नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे । शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥